Above Header
Above News Title

भेंरह्वा रामदास

भेंरह्वा रामदास

दिपक चौधरी असीम

मंगल थारु एकठो कमैयाँ, जे डोसरके घर काम कर्के अपन घरेक गुजारा करठ् । मंगल अपन लर्का बच्चा परिवारके संग एकडम खुसि रहट् । मनो उ अपन मन भिट्टर अनेक सपना डुख पिरा छुपैले रहट् ओ अपने परिवार उइन सड्डा खुसि बनैले रहट् । 

ढिरे ढिरे लर्का बच्चा बह्र्टि जैठिस ओ मंगलके जिम्मेवारि फेन बह्र्टि जैठिस । मंगल आउर भारि चिन्टामे डुब्टि जाइट् ओ गम्भीर डेखाइट । यि सब ओकर बर्का छावा हेर्टि जैठिस ओ अपने मनमे कुछ करे पर्ना सोंच बनाइ लागट् । एक डिन बर्का छावा मंगल हे कहलिस,  ‘बाबा, मै फेँ किस्नान घर काम करे जिम ।’ 

टब मंगल कहल, ‘टै का काम करे जिबे ?’ 

बाबक् परस्न सुन्के छावा कहल, ‘किस्नान भेंरि चर्हैम ।’ 

‘ठिक बा, किसन्वैंसे पुछम टे चलिस भेंरि चर्हाइ,’ कैह्के मंगल कहल । 

डोसर डिन बाट बट्वाके अपन बर्का छावै भेंरि चर्हाइ लगा डेहट् । 

मंगलके बर्का छावा रामदासके साल भरिक भेरि चह्रैलक् एक मन ढान टन्खा रहिस । उहिसे घरक कुछ समस्या टरे लग्लिस । 

रामदास सक्कारे रोज भेंरि ले ले खेट्वम जाइठ् कलेसे गाउँक आउर लर्का झोला, कापि, पोस्टा ले ले स्कुल जाइट् । उ सब डेख्के रामदास के मनमे फेन पर्हे जैना रहर जागे लग्लिस । 

उ एकडिन अपन बाबा हे कहल, बाबा मै पर्ह जैम ट नैहुइ ? 

छावक असिन बिचार सुन्के मंगल कहल, ठिक बा काल्ह किसन्वैसे छुट्टि माँग्डेम टब चल्जाइस पर्ह ।

बाबक असिन बाट सुन्के रामदास बरा खुसि हुइल ओ डोसर डिनसे बिना झोलक गाउँक लर्कनसंग स्कुल जाइ लागल । डुइचार डिन पाछे मंगल रामदास के लग झोला, सिलोट व गौखर किन्डेलिस । 

समय बिट्टे गैल । रामदास मेहनटके साठ स्कुल पह्र्टि गैल । मंगल फेन डुख कर्के भुख्ले रैह्के फेन अपन छावा हे पर्हाइल । रामदास फेन डस्वा मजा नम्बर लानके पास हुइल । ओ क्याम्पस पर्हक लग सदरमुकाम धनगढी जाइ पर्ना हुइलक ओंरसे इहिसे आगे पर्हाइ नैसेकम कैह्के मंगल अपन छावक ठन कहल । 

रामदास फेन बाबक् बाटेम कुछ नै कहट् । काहे कि अट्रा डुख कस्ट कैके जौन सिक्षा डेहल बाबा, आब एकर सडुपयोग महि कर्ना बा कैह्के मनमे सोचटि चुपचाप रहि जाइट । 
समय अपन डगर निरन्टर बिट्टि जाइट् । रामदास अपन गाउमे परोढ पर्हैना मौका पा जाइठ् ओ गाउँमे मस्टर्वा कैह्के चिन्हे लग्ठिस । एक डिन मंगल रामदास के भोज कैना बाट अपन गोसिन्यासे चलाइठ् । ओ, कुछ डिन पाछे रामदास के भोज फग्नीसे हो जैठिस । मंगल के परिवार बह्रजैठिस । 

समय बिट्टि जाइठ् । रामदासके फेन लर्का बच्चा हुइठिस ओ सारा घरक जिम्मा मंगल रामदास हे सौंपडेहट् । 

रामदास भारि समस्यामे डेखा परट्। मनो हिम्मत नैहारठ् ओ घर जसिक टसिक चलाइठ्। । 

एक डिन रामदास फग्नीहे कहल, अरि गाउँमे किल काम कर्के घरक समस्या नैचलि । लर्का बच्चा परहैना घर डुवार चलैना बा । ओहेक मारे महिं कुछ डिन बाहर लागक परि । टब जाके गुजारा हुइ । इ सब बाट सुन्के फग्नी कहल गाउँमे काम नैकर्बो टे कहाँ जैबो? 

रामदास कहल, सबजे इन्डिया जैठ मै फेन चल्जिम । 

फग्नी कलि, टु चल्जिबो टे मै कसिक घर चलैम ओ रहम ? 

रामदास सम्झाइल, जस्टे सबजे रठै ओस्टके टे काहुन् । 

अट्रा सल्लाह कैके डुइचार डिन पाछे रामदास लागल इन्डिया कमाइ । 

अपन घर परिवार के खुसि खोजे घर परिवार छोर्के रामदास हुइल गाउँघरसे डुर । राट डिन काम, डेंहक पस्ना सुखाइ नै पैना, राटिक निंड डिनेक भुख मेटाइ नै पैना । डुखसे जुझ्टि, भुखसे लर्टि समस्या हटैना सपना पुरा कैना लक्ष्य लेके परडेस लागल रामदास । 

हरेक महिनक् पैसा घरे पठैटि रहठ् रामदास । फिर भि समस्यक समाढान नै हुइठिस र झन् टे समस्या बहर्टि जैठिस । 

रामदासहे स्कुल पह्राइक लग लेहल मंगलके रिन डुइ सौ से बहर्के बीस हजार पुग्गैलिस । इ सब डेख्के सुन्के असिन लागट् गरिब मनैन्के जिन्गि कुछ जिन्गि नैहो जसिन । 
यहोंर फग्नी गिटेम् मनक् बट्ठा सुस्करठः 

कहाँ जाके ओराइट गरिबन्के डुखक सग्रा । 
कब सम रहेक परि अकेलि हेर्के अस्रक डग्रा । 
सुख डुखके बख्रा बराबर लगाइ नै जानल कि का, 
लम्मा करल जिन्गिक डग्रा बिढाटा फेँ हरेक अँख्रा । 
                                                               कैलारी–२ बसौटी, कैलाली
 

प्रकाशित:

७४० दिन अगाडि

|

२१ वैशाख २०८०

रेशम चौधरीको उम्मेदवारी विरुद्ध उजुरी किन ?
रेशम चौधरीको उम्मेदवारी विरुद्ध उजुरी किन ?

९४४ दिन अगाडि

|

२५ असोज २०७९

डा. केआई सिंहको बिर्तावाल ‘गुलयारी’ : थारू उपर कहिल्यै नमेटिने ती घाउहरू
डा. केआई सिंहको बिर्तावाल ‘गुलयारी’ : थारू उपर कहिल्यै नमेटिने ती घाउहरू

९७९ दिन अगाडि

|

२१ भदौ २०७९

स्वतन्त्रहरु अनि नागरिक उन्मुक्ति पार्टीको उदयको दस्तक
स्वतन्त्रहरु अनि नागरिक उन्मुक्ति पार्टीको उदयको दस्तक

९८९ दिन अगाडि

|

१२ भदौ २०७९

‘रेशम रक्तबीज हो, एक रेशमको उमेदवारी खारेजले हजार रेशम जन्मिन्छन्ः’ हिमाञ्चल भट्टराई
‘रेशम रक्तबीज हो, एक रेशमको उमेदवारी खारेजले हजार रेशम जन्मिन्छन्ः’ हिमाञ्चल भट्टराई

९४४ दिन अगाडि

|

२६ असोज २०७९

टीकापुर घटनाको मुद्दा फिर्ता नलिइए नागरिक उन्मुक्तिका सांसदले शपथ नलिने 
टीकापुर घटनाको मुद्दा फिर्ता नलिइए नागरिक उन्मुक्तिका सांसदले शपथ नलिने 

८९३ दिन अगाडि

|

१५ मंसिर २०७९

रातीसम्म नाचगान गरेको भन्दै टीकापुर प्रहरीबाट जानकीका ३ जनालाई पक्राउ
रातीसम्म नाचगान गरेको भन्दै टीकापुर प्रहरीबाट जानकीका ३ जनालाई पक्राउ

९४९ दिन अगाडि

|

२० असोज २०७९

टीकापुर घटना राज्यसत्ताले चलाखीपूर्ण रूपमा घटाएको घटना होः मोहना अन्सारी
टीकापुर घटना राज्यसत्ताले चलाखीपूर्ण रूपमा घटाएको घटना होः मोहना अन्सारी

८८२ दिन अगाडि

|

२७ मंसिर २०७९