असिराम डंगौरा
आदिवासी थारू तराईके लडिया फटुँवा बनुवाँ किनारे बसोबास करूइया जात हो । आदिमकालसे बनुवँक् किनारे बैठल कारन थारू समाज तमानेक प्रकृतिक आपत विपत हैजा, मलेरिया जैसिन समाज विनाशक रोगसे डब्नि भिराहुर करटि बचल बा ।
इतिहास साछि बा, हैजा मलेरियासे नाइ डेराइल जात थारू हो कैहके । प्रकृतिसंग जिन्गिक दुःख सुख साटल थारू समाज पितृसंग प्रायः प्रकृतिम रहल जीवजन्तु रूखुवा बरिखुवाक पुजा करठ । टबमारे थारू समाजहे प्रकृतिपुजक फे कैह जाइठ ।
राज्यके एकात्मकवाद गलत अर्थसे अब्बै लगभग ८० प्रतिशत थारू हिन्दू ढरम ओर आटै । थारू खोजकर्ता डा गोपाल दहितलगायत टमान थारू विद्वानहुक्रे थारू प्रकृति पुजकसंग बुद्धिस्ट होईह कनामे जोर डेहल बाटै। मनो यइनके खोज थारू बुद्धिस्ट होईह कना सच हुई फे सेकि नाइ फे।
यदि खोजकर्ताहुक्रे हिन्दू ढरमके प्रभावसे हम्रे हिन्दू हुइ कना सोंच बड्ले सेक्हि कलेसे डा दहितजी लगायतट हमार थारू विद्वानन्के खोज सफल हु जाइ, जहाँसम इ हुइना चाहि । मनो इ लोहेक चिउरा चबैनासे कम नाइ हो।
जे होस्, थारू समाजमे ढरमके बारेम कुछ चेतना आइल बा । आझकल प्राय थारूहुक्रे अपन उपथर, ढरम कला संस्कृतिके खोजमे लागल बाटै ।
थारू प्रकृतिक पुजा करटि अइलाँ, आगे फे करटि रहब । प्रकृतिसे लग्गे हुइलेक कारन हमार बनुवाँ फटुवामे थारूनके खास हक लागठ । थारू समाज परिवारिक जिन्गी चलाइक लग बान्झ फँटुवा सुस्ना डुकरिक झमरा फाँरके खेटि करटि आइल बा। बन्झर बनुवक फँटुवा, आंग कुकैना सुस्ना डुकरि ओ हैजा मलेरिया लगैना मसन्से लरके धरतीक छाती फारके अनेक मेरके अनाज फरैलेक कारन थारून भूमिपुत्र फे कैह जाइठ।
जार, घाम, पानी, सिट सहके परिवारके बरस भरिक खैनाक सामा कर्ना थारू जात गैरथारून्के तुलनामे एकडम मेहनटि ओ जिट्टल जात हो।
परिवारिक भरन पोसनमे चट्नि भात खाके घाम पानी सहके खेटिक कर्रा काम करल बाफट थारू समाज ‘सिकलसेल एनिमिया’ कना प्रायः थारूनमे किल लग्ना वंसानुगट रोग इनाम फे पैले बा । इ रोगके कारन कैंयो थारू अमचुर हस सुखाके अकालमे मुटि आटै।
थारू जात मेहनत कर्नाम कबु नि डरैठै । अपन रकट पस्ना बहाके परिवार पाले सेक्ना हर थारूनमे छमटा बा । अट्रा मेहनटि थारू हरकुछ जरूरट अपनहि पुरा करे सेकठ टो अभिन सम अटा पाछे काहे बा ? कना प्रस्न आइठ । यकर उत्तरमे यहे कहे सेकजाइठ कि थारू समाज शिक्षामे पाछे टो बा, संगेसंगे बहुट खर्चालु फे बा । खर्चके मामलामे सायड समाजमे रहल सक्कु समुदायसे कैंयों बह्रटा खर्चालु थारूनहे कहे सेकजाइ ।
देशमे ढरम, जात, भाषा, संस्कृति भुगोलके विविधता बा । यहाँ करिब १४२ जातजाति समुदायके मनै बसोबास करठै । थारूहुक्रे अपन टर टिहुवार टो मनैबे करठै, मनो थारून अपन कोल्कहा टिहुवारसंगे कोइ आगन्टुक, कोइ गैरथारूनके टिहुवार फे बहुट कर्रासे मनैठै ।
ऐसिक टर टिहुवार मनैना हुइलेक ओरसे थारू समाजमे हर महिने टिहुवार मनैना हुइ लागठ । अटवारि, अस्टिम्कि टे अक्के मैन्हम आइठ । हर टिहुवारमे थारू बहुट खर्च करठै ।
थारूनके प्रायः पैसा अइना कना खेटिक रकम बेचके हो। हम्रे अपन टर टिहुवारमे खर्च टो करठि करठि, मनो औरेक टर टिहुवार फे अपन हो मनाइक परठ कैहके बहुट ज्यादा फजुल खर्च करठि । थारु महिलन् तिज मनाइ लागल बाटै ।
इहे कारन हमार आजा, बुडु माटिम हाँठ, गोर गलैटि अइलाँ, मने कुछ नि प्रगटि हुइल । हमार डाइ बाबा हुक्र हाँठ, गोर गलाइटै, कुछ नि हुइठो । हम्रनसे फे कुछ नि विकास हुइठो, हमार लर्कनसे टो झन कुछ नै उखरि ।
ओरौनीमे, अट्रै कहम कि हम्रे थारू मेहनत कर्नाम कबु डराइल नाइ हुइ, मेहनट कर्ना, जोस जाँगर हर थारूनके रकटमे बा । कमि बा टो बस खालि शिक्षाके । टबमारे हम्रे हमार समाजमे रहल हर समुडायके टर टिहुवार हे सम्मान डि मनो ओइनके टिहुवार हम्रे नाइ अपनाइ ।
राष्ट्रिय स्तरके टिहुवार फे यदि हमार थारूनके हितमे नाइ हो कलेसे नाइ मनैलेसे फे कुछ फरक नाइ परि । हम्रे अपन थारू टर टिहुवार भर नाइ छोर्ना चाहि । टर टिहुवार टरक भरक बनाइक लग हम्रे रिन काह्रके फे हडसे ढेर खर्च करठि, इ फजुल खर्च बन्ड करि ।
टिहुवारमे जौन फजुल खर्च करठि, उहि हमार लर्कनके शिक्षामे लगाइ । इहिनसे अइना डिनमे हमार थारू समाज कुछ प्रगटि करे सेकि । यडि हमार थारू समाजमे बचत ओ शिक्षा रहि टो कोइ सरकारी नोकरी, सरकारी अनुदानके सायत जरूरत फे नाइ परि ।
जोशीपुर–५ सिमराना, कैलाली
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