बँढुवा कमैयाँ पटै नि हो
कबसे बाँढल रहे
मलिक्वाक डर
ऋण शोषन ओ सौंकीसे
पुस्टौ पुस्टा बिटल
सौंकीमे सौंकी ठपल।
बाबा छावा नटिव
ऊ शोषक किसन्वाक लग
जुनीभर कमाईल
बर्खाम खौही
डवाई बुट्टी
डस्याम जरावरके लग
लेहल ठोरचे पैंसा
माटीक शरिर माटीम मिलल
घटल नाई झन बर्हल
कैयो पुस्टौ बिटल
ऊ सौंकी,
टिरे नाई सेकके
कोई औरे ओर भागल
कोई टङ्गके मारल
कोई जहर खाईल
कोई सौंकीक बडला
जन्नी छाई कम्हलरिया पठाईल
कोई शोषकनके
राट रंगीन बनाईल
कुवाँरी छाई नाई चाहके
सौंकीक कारन ईज्जट लुटाईल।
हाँ ऊ कमैयाँ
शोषन सहनाम घैंखर
ना नाई कहल जुनीभर
डुई छाक खाईक लग
का बर्खैहा पानी
का बैशाखी घाम
जैसिन कर्रा रहे काम
पशु हस मेहनट कर्ना बानी।
जब ढिरे ढिरे चेट खुलल
ठोर ठोर कमैयाँनके
बस्टीम फे भगनुवा हेरल
चरम दासत्वाके जंजीरसे
ऊ बँढुवा कमैयाँ
मुक्ति खोजे लागल
कबु नि ओरैना सौंकीसे
दासत्वाके जुनीसे
जन्नी छाईनके ईज्जटसे
यौन प्यास मेटैन मलिक्वासे।
जब मुन्टीम कफन बाँढल कमैयाँ
हाँ मुक्ति मिलल
ऊ मलिक्वाक सौंकीसे
जेल हस ओकर बुक्रीसे
हाँठगोर खैना खेट्वा खेर्हन्वासे
ओ मुक्ति मिलल
बचपन बिटल गाउँसे ।
नाई अटैना कमैयाँ
गाउँक ऐलानी जग्गाम
बीचढारमे न घर न घाटके
गाउँसे घरसे निकरल
सपना पुरा कर्ना आँटके।
कमैयाँन दुखमे राजनिती करूईया
नेटनके दलाल
खुब उल्कैनै सपना डेखैनै
रहेक लग अपन घर रही
जोटे खाईक खेट्वा रही
खुल्लै आँखीसे डेख्ली
ऊ मुक्तिके सपना
खै पुरा कहाँ हुईल
न घर न घरबास
अब,
जिन्गी हु गिल नेटनके दास।
जोशीपुर ५ सिमराना, कैलाली
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