इ डेसके नागरिक हुके फेन
अनागरिक कहलुइया
“मै”
एक आदिवासी जनजाति
मोर पुर्खा सालोसे
जोगैटि अइलक जमिन
हिंस्रक जनावरसँगे लरके
मलेरिया पचाके
बइठ्वाइल बस्टि
जल, जंगल, जमिनसँगे
गँस्टि अइलक डोस्टि
एक डिन अचानक आके टुँ
‘तँ त घोंघी खाने जात
यो जल, जंगल, जमिन
तेरो होइन !’ कहिके
उ बस्टिसे खडेरके
बुह्रान जैना बाढ्य बनाके
हमार अस्तित्व मेटैलक
टुँ अट्ना हलि बिस्रा ढरलो ?
मोर पुर्खन्के
बट्ठामे फोहाके
सुन्नामे सुन्ना ठपके
सौकि टिराके
छुछ्छे भौकि कैके
कमैया ओ कमलह्रि बनाके
हमार जमिन हडप्लक
पसुहस हमरिहिन जोटैलक
मै नै बिस्रैले हुँ
ओ, आझ अभिन फेन हमरिहिन
कमैया ओ कमलह्रि डेखुइयन
कहिया फेर्बो
विभेडके चस्मा ?
हुइना टे
सक्कु चिज बावइ टोहार कब्जामे
टुहिन टे जा कैना फेन छुट
हमार रकट, पस्ना, परिसरम लुट
हमार सपनम बजैठो बुट
मै यहाँ
पहिचानके नारा घन्कैलेसे फेन
कि कोच्डेठा जेल
बर्सैठा लाठि
खाइक परठ गोलि
टुँ भर झुठ आस्वासन डेखाके
मौसमहस बडलटि रठो बोलि
मने अहँ नैसेक्ठो बडले
टबे टे बोक्ले टो अभिन
उहे अन्यायके झोलि
बह्राइटो डमन ओ विभेडके रूख्वा
सुस्टाइटो स्वार्ठके बिसौनिमे
आज संघर्सके लहरामे
यात्रा कैटि रलक मै
जबसम रहि इ जिउ
नै अँटियइम
बोइटि रहम जहिया फेन
मोर पहिचान, अधिकार,
समानटाके बिया ।
समानटाके बिया ।।
कहियासम अनागरिक ? (२०८१) कविता संग्रहसे
प्रकाशित:
२३७ दिन अगाडि
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१२ साउन २०८१
३५ मिनेट अगाडि
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७ चैत २०८१
८ दिन अगाडि
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२९ फागुन २०८१
११ दिन अगाडि
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२६ फागुन २०८१
१२ दिन अगाडि
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२५ फागुन २०८१
१८ दिन अगाडि
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१८ फागुन २०८१
२२ दिन अगाडि
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१४ फागुन २०८१
२३ दिन अगाडि
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१३ फागुन २०८१
८९१ दिन अगाडि
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२५ असोज २०७९
९२६ दिन अगाडि
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२१ भदौ २०७९
९३६ दिन अगाडि
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१२ भदौ २०७९
८९१ दिन अगाडि
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२६ असोज २०७९
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१५ मंसिर २०७९
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२० असोज २०७९
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२७ मंसिर २०७९