सामाजिक सञ्जालमे असौंक डस्या कसिक मनैना कहिके मेरमेरिक विद्वान आअपन विचार ढैटि बटाँ ।
इहे क्रममे डा गोपाल दहित असौंक डस्या मनैना तालिका डेले बटाँ (हेरि फोटुसंगे रहल तालिका) । इहे सिलसिलामे यहाँ दिलबहादुर थारू ओ चूर्ण चौधरी थप दुइ विद्वानके विचार ढै गैल बा ।
सबजे उज्जर टीका लगाई
दिलबहादुर थारू
संयोजक, थारू नागरिक समाज, कैलाली
थारू समाजमे दशैंक अपने महत्व बा । सब दिनके अपन महत्व बा । मने सप्तमी, अष्टमी, नवमी ओ दशमीक कुछ ढेर महत्व बा । ओम्ने फे सबसे ढेर नवमीक महत्व बा । का करे कि नवमीक दिन हमरे पुर्खन भात डेठी अथवा कही कि नवमी हमार पुर्खनके श्राद्ध तिथी हो । बिहानके पिट्टर भात डेना ओ साँझके घरे नेउटल पितृदेउटन नाचगानासहित बिदाई कर्ना अस्रैना दिन हो ।
टबेमारे अष्टमी, नवमी अक्के डिन पर्लेसे अष्टमीहे आगे टस्कैना चाही । नवमी ओ दशमी अक्के डिन पर्लेसे दशमीहे पाछे सर्ना, टस्कैना चाही । यी साल अष्टमी ओ नवमी सँगे परल बा । टबेमारे अष्टमीहे आगे टस्कैले मजा रही । टस्कैलेसे यी साल (२०८१) हमार दशैं अइसिक रहीः
२३ गते पैनस टोपी ढोई ओ साँझके पुर्खन नेउटी
२४ गते ढिक्री चरहाई
२५ गते पिट्टर भात दी
२६ गते टीका लगाई, उ फे सबजे उज्जर टीका लगाई
धार्मिक मान्यता अनुसार डश्या पुजा पुजी
चूर्ण चौधरी,
केन्द्रीय कोषाध्यक्ष, थारू कल्याणकारिणी सभा
म्वार विचार म पुर्खासे मन्टी अइलक धार्मिक मान्यता, रिति थिति, चलन ओ अभ्यास म हम्र बर्का डश्याम सप्तमी के दिन ढक्या ओ पैनस्टोपी गंगाम च्वाखा कराइक लाग ढ्वाए जैठी । यी सर्वमान्य संस्थागत चलन ओ अभ्यास बा ।
यी बर्षक (२०८१) सप्तमी ह असोज २४ से असोज २३ म सरना सायद उपयुक्त नि हुइ । हम्र महा अष्टमी म जैह्या फे सन्झ्याख ढिक्री (कौनो थर क थारू मुर्गी फे) पुज्ना यी संस्थागत हुइल चलन, अभ्यास ओ सर्वमान्य धार्मिक मान्यता बा । ओ महानवमी म बिशेष कैख विहान ख मुर्गी पुज्ना ओ आपन पुर्खन पिट्टर डेना धार्मिक ओ संस्थागत मान्यता बा ।
यी वर्षके २०८१ क बर्का डश्या म महा अष्टमी ओ महा नवमी तिथि (असोज २५ गते) एक्कम मिलल बा कलसे महा अष्टमी क दिन उहो २५ गते जो पुर्खा से चल्टी अइलक आपन तिथिम जो आपन आपन चलन, रितिथिति, अभ्यास ओ धार्मिक मान्यता अनुसार डश्या पुजा पुजी ।
ओ महा नवमी म कर्ना पुजा विजया दशमी असोज २६ गते क दिन शुभ साइत म कर्लसे जो टनिक धार्मिक विधि बिधान ओ महत्व हुइ कना म्वार सोच ओ बिचार बा। ओहमार
२०८१ असोज २४ गतेः सप्तमीम गंगा म पैनस्टोपी धुइना ।
२०८१ असोज २५ गतेः महाअष्टमी म सन्झ्याक आपन आपन चलन अनुसार ढिक्री (कौनो थारू थर मुर्गी फे) पुज्ना ।
२०८१ असोज २६ गतेः विजया दशमी अर्थात बिजयी प्राप्त कर्लक शुभ साइत क दिन म विहान सक्कार मुर्गी पुज्ना वलि देना ओ आपन आपन पुर्खन क सम्झना म पिट्टर डेना उत्तम साइत हो ।
ओ यह दिन हमार बर्का डश्यक टिका के शुभ साइत रहि । संसारी गँवल्या टीका ब्यबस्थित तरिकासे उज्जर रहि ट आपन धर्म, संस्कार ओ पहिचान रही ।
प्रकाशित:
३५ दिन अगाडि
|
२१ असोज २०८१
५ दिन अगाडि
|
२१ कात्तिक २०८१
११ दिन अगाडि
|
१५ कात्तिक २०८१
११ दिन अगाडि
|
१५ कात्तिक २०८१
१३ दिन अगाडि
|
१३ कात्तिक २०८१
१३ दिन अगाडि
|
१३ कात्तिक २०८१
१९ दिन अगाडि
|
७ कात्तिक २०८१
२१ दिन अगाडि
|
५ कात्तिक २०८१
७६२ दिन अगाडि
|
२५ असोज २०७९
७९६ दिन अगाडि
|
२१ भदौ २०७९
८०६ दिन अगाडि
|
१२ भदौ २०७९
७६१ दिन अगाडि
|
२६ असोज २०७९
७११ दिन अगाडि
|
१५ मंसिर २०७९
७६७ दिन अगाडि
|
२० असोज २०७९
६९९ दिन अगाडि
|
२७ मंसिर २०७९