असौंक डस्या कसिक मनैना ?

असौंक डस्या कसिक मनैना ?

८ दिन अगाडि

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२१ असोज २०८१

लखागिन थारू साहित्य श्रृङखलाम मुक्तक, गजल लेखनबारे प्रशिक्षण

लखागिन थारू साहित्य श्रृङखलाम मुक्तक, गजल लेखनबारे प्रशिक्षण

३१ दिन अगाडि

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२९ भदौ २०८१

पाँचवा लखागिन थारू साहित्य श्रृङखला सुर्खेतक, वीरेन्द्रनगर–१०, दिपनगरम बुलबुल चौधरी खाजा घर भडौ २९ गते सनिच्चरके कैगइल बा । कविता, मुक्तक, गजल वाचन कार्यक्रम लखागिन थारु उत्थान मञ्च ओ राष्ट्रिय थारू कलाकार मञ्च शाखा सुर्खेतके संयुक्त आयोजनाम सम्पन्न कैगिल रह । कार्यक्रमम बर्का पहुना पुर्खा शेरबहादुर थारू माँगर गिट सुनैल कलसे गायक कलाकार राजु चौधरी गिट सुनैल । ओसहक बालकवि सलिन चौधरी, कवयित्री सुमित्रा चौधरी कविता वाचन कर्ल रलह कलसे युवा प्रतिभा रामकृष्ण  चौधरी गजल वाचन कर्ल रलह ।  वरिष्ठ थारु साहित्यकार मान बहादुर चौधरीके घरगोस्याइम सञ्चालन  हुइल कार्यक्रमके डोसर सेसनम मुक्तक, गजल लेखनबारे प्रशिक्षण हुइल रह । साहित्यम रुचि ढर्ना लावा सिखारु युवा विद्यार्थीन् प्रशिक्षण साहित्यकार मानबहादुर चौधरी पन्ना डेल रलह । कार्यक्रमके सहजिकरण सचिव  अशोक चौधरी कर्ल रलह ।

संकटमे हरेरि पुजा 

संकटमे हरेरि पुजा 

४० दिन अगाडि

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२० भदौ २०८१

शत्रुघन चौधरी आजकल गाँउ गाँउमे हरेरि पुजा हुईटीबा । कहुँ पुजा सम्पन्न हु राखल, कहुँ बाँकी बा । हरेरि पुजा थारू समुदायमे कैजैना पुजा मध्य एक महत्वपुर्ण पुजा हो । हरेरि पुजाहे सबसे बर्का पुजाके रूपमे फे लेजाईठ । खास कैके खेतिपाति सेकके भाडोमे यि पुजा गाउँभरके मनै मिलके सामुहिक रूपमे पुजा कैजाइठ । वालिनालि मजा होय, गाँउमे खाँज खुजलि नालागे हैवि दैवी नालागे पशु चाैपायाके रक्षा होय, घर गाउमे अनाज भरपुर होय कना विश्वासके साथ यि पुजा कैजाईठ । हरेरि पुजामे गुरूवा अनिवार्य चाहठ । देशबन्ढिया, केसाैका घरगुरूवा लगायत गुरूवनके महत्वपुर्ण भुमिका रहठ । गुरूवा ज्ञान एक अदभुत ओ अलैाकिक ज्ञान हो । जोन गुरूवालोग साधना, दिव्य वाँणि ओ गुरूमन्त्रसे पैले रठाँ । गुरूवक संख्या दिन प्रति दिन घटटी जाईटा । एक अध्धययन फे डेखासेकल आवक ३० वरष परसे थारू समुदायमे गुरूवा लोप हुईना खतरा बा । गुरुवनके अस्तित्व संकटमे पर्ना कलक थारूनके परम्परागत पुजा संकटमे पर्ना हो । यिहिसे फे कहे सेकजाईठ हरेरि पुजा फे संकटमे परटा । लावा गुरूवा कोन गाउक हरेरिमे कैठो निकरलाँ कना समाचार कबु नै पढे, सुने मिलठ । यदि कोई कबुकाल गुरूवा निकरि कलसे फे यी समाचार नै बनठ । यि दुखके बाट हो । लावा गुरूवा नै निकरनासे फे अनुसन्धानके निष्कर्ष मेल खाईठ । यकर वारेमे कहुँ चिन्तन मनन विमर्श कैल नै विल्गठ । गाउघरमे यकर वारेम बहल चलैना अभिन ढिला नै हुईल हो । आब हरेक हरेरि पुजामे यि छलफल चलैना जरूरि विल्गठ । पुरान गुरूवनके ज्ञान पुस्तान्तरण कसिक कर सेकजाईठ, बाट उठान करि । गोटगाट स्थानिय सरकार सिमिट बजेट पुजा खर्च कैहके डेलक समाचार फे आईल बा, यि फोहिक विषय हो । लेकिन आब सेँन्डुर टिका चिङ्नि आदि पुजा खर्च किल नाहि यिहि दिगो बनाईक लग धेर बजेट आवश्यक विल्गठ । गुरूवनहे प्रोत्साहन भत्ता चाहल । लावा गुरूवा निकरलेसे लाखो रूपियक पुरस्कार रासि ढारे परल । अस्टके गुरूवनके टनखालगायत विविध सुविधा टोके परल । गुरूवनहे प्रोत्साहन भत्ता चाहल । लावा गुरूवा निकरलेसे लाखो रूपियक पुरस्कार रासि ढारे परल । अस्टके गुरूवनके टनखालगायत विविध सुविधा टोके परल । गुरूवनके विमा कर परल । समय समयमे या माघमे गाउक गुरूवनहे सम्मान कर परल । गुरूवनके क्षमता विकास कर परल, ओषधि उपचारके व्यवस्था हुईपरल । यकरलग स्थानिय सरकारसे बजेट माग करपर्ना जरूरि बा । वहाँ लोगनके ज्ञानके कदर जवटक नै हुई, टबटक लावा गुरूवा बन्ना कोई आगे नै परि । यदि पुरान परम्परा सस्कृति वचैना बा टे यहोर फे आजुसे सोचि जागि उठि ओ लागि । जय अखरिया ।

आजउरा प्रतिष्ठानसे थारु भासाके ३ ठो पोस्टा प्रकाशित 

आजउरा प्रतिष्ठानसे थारु भासाके ३ ठो पोस्टा प्रकाशित 

६१ दिन अगाडि

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३१ साउन २०८१

आदिवासी जनजाति उत्थान राष्ट्रिय प्रतिष्ठान, सानेपा, ललितपुरसे इ बरस (२०८१ सालमे) थारु भासाके ३ ठो पोस्टा प्रकाशित हुइल बा । प्रकाशित पोस्टामे भूमिका थारुके कविता संग्रह कहियासम अनागरिक, मानसिंह महतोके ललपुरीया थारुहरुको संस्कृति, भुलाई चौधरी, बुद्धसेन चौधरी ओ सियाराम चौधरीके प्रारिम्भक थारु ब्याकरणके पोस्टा निक्रल बा ।  मानसिंह महतोके ललपुरीया थारुहरुको संस्कृति पोस्टाके सिर्सक नेपाली भासामे बा । मने पोस्टा ललपुरिया थारु भासामे बा । प्रारिम्भक थारु ब्याकरण सप्तरी क्षेत्रके थारु भासामे बा । आदिवासी जनजाति उत्थान राष्ट्रिय प्रतिष्ठानसे परटेक बरस डस्याओर पोस्टा प्रकाशनके लग प्रोपोजल खुलठ । यम्ने स्रस्टालोग पाण्डुलिपि दर्ता कराइ सेक्ठा ।  प्रतिष्ठानके कोनो फेन प्रकाशन ओकर आफिससे सेंट्टिम मिलठ ।

मुक्तिक सपना

मुक्तिक सपना

९० दिन अगाडि

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२ साउन २०८१

बँढुवा कमैयाँ पटै नि हो कबसे बाँढल रहे मलिक्वाक डर ऋण शोषन ओ सौंकीसे पुस्टौ पुस्टा बिटल सौंकीमे सौंकी ठपल। बाबा छावा नटिव ऊ शोषक किसन्वाक लग जुनीभर कमाईल बर्खाम खौही डवाई बुट्टी डस्याम जरावरके लग लेहल ठोरचे पैंसा माटीक शरिर माटीम मिलल घटल नाई झन बर्हल  कैयो पुस्टौ बिटल  ऊ सौंकी, टिरे नाई सेकके कोई औरे ओर भागल कोई टङ्गके मारल कोई जहर खाईल कोई सौंकीक बडला जन्नी छाई कम्हलरिया पठाईल कोई शोषकनके राट रंगीन बनाईल कुवाँरी छाई नाई चाहके  सौंकीक कारन ईज्जट लुटाईल। हाँ ऊ कमैयाँ शोषन सहनाम घैंखर ना नाई कहल जुनीभर डुई छाक खाईक लग का बर्खैहा पानी का बैशाखी घाम जैसिन कर्रा रहे काम पशु हस मेहनट कर्ना बानी। जब ढिरे ढिरे चेट खुलल ठोर ठोर कमैयाँनके बस्टीम फे भगनुवा हेरल चरम दासत्वाके जंजीरसे ऊ बँढुवा कमैयाँ  मुक्ति खोजे लागल कबु नि ओरैना सौंकीसे दासत्वाके जुनीसे जन्नी छाईनके ईज्जटसे यौन प्यास मेटैन मलिक्वासे। जब मुन्टीम कफन बाँढल कमैयाँ हाँ मुक्ति मिलल ऊ मलिक्वाक सौंकीसे जेल हस ओकर बुक्रीसे हाँठगोर खैना खेट्वा खेर्हन्वासे ओ मुक्ति मिलल बचपन बिटल गाउँसे । नाई अटैना कमैयाँ गाउँक ऐलानी जग्गाम बीचढारमे न घर न घाटके गाउँसे घरसे निकरल सपना पुरा कर्ना आँटके। कमैयाँन दुखमे राजनिती करूईया नेटनके दलाल खुब उल्कैनै सपना डेखैनै रहेक लग अपन घर रही जोटे खाईक खेट्वा रही खुल्लै आँखीसे डेख्ली ऊ मुक्तिके सपना खै पुरा कहाँ हुईल न घर न घरबास अब,  जिन्गी हु गिल नेटनके दास।               जोशीपुर ५ सिमराना, कैलाली  

ठुम्रारके ९९औं साहित्यिक श्रृंखला निम्जल

ठुम्रारके ९९औं साहित्यिक श्रृंखला निम्जल

९३ दिन अगाडि

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३० असार २०८१

साहित्यकार मानबहादुर चौधरी पन्नाके बरका पुहनाइमे ठुम्रार साहित्यिक बखेरीके ९९औं साहित्यिक श्रृंखला निम्जल बा ।  असार २९ गटे सनिच्चरके काठमाडौं, कीर्तिपुर, पाँगास्थित बरघर रेस्टुरण्टमे हुइल कार्यक्रममे साहित्यकार मानबहादुर पन्ना कहलाँ, ‘थारु साहित्यमे समालोचना विधा कमजोर बा । यकर कारन हमार थारु पोस्टाके चर्चा परिचर्चा हुइ नइ सेकल हो ।’ ठुम्रार साहित्यिक बखेरीके साहित्यिक बखेरीसे अपने बहुट प्रभावित हुइल कहटि पन्ना आगे कहलाँ, ‘मोर गृहजिल्ला सुर्खेतमे मै अध्यक्ष रहल लखागिन थारु उत्थान मञ्चसे पाँच श्रृंखला थारु साहित्यके बखेरी करले बटुँ । आब इहि निरन्तरता डेहम् ।’ ठुम्रार साहित्यिक बखेरीके संयोजक डा कृष्णराज सर्वहारीके घरगोस्याइमे हुइल कार्यक्रममे शत्रुघन चौधरी, अर्णव चौधरी, नेपालु चौधरी, गोपाल चौधरी, सुनिता चौधरी, गणेश वर्तमान, नन्दुराज चौधरी, दाङ, गढवा–७ के वडाध्यक्ष राहुलदेव चौधरी, कुछत नारायण चौधरी, डा रामबहादुर चौधरीलगायट स्रस्टालोग आअ पन रचनाके सगसंगे शुभकामना डेले रहिट ।  उ अवसरमे इहे असार २७ गटे संस्कृति मन्त्रालयसे क्षेत्रीय प्रतिभा पुरस्कार (कर्णाली प्रदेश) पाइल साहित्यकार मानबहादुर पन्नाहे सम्मान फेन कइ गइल रहे । पन्नाके ढुकढुकी (मुक्तक, कविता २०५७), किसानके जिन्दगी (खण्डकाव्य २०६१), सख्या नाच (गीत २०७०), ककनदरान छोटकी (खिस्सा २०७०), एक गोरुवक् बटकुही (हाँस्यव्यंग्य सहलेखन २०७५) थारु भासाके पोस्टा ओ हाम्रो थारु समाज र संस्कृति (२०७९) अनुसन्धानमुलक पोस्टा प्रकाशित बटिन् । ओस्टक संस्कृति मन्त्रालयसे डोसर थारु स्रष्टा बुद्धसेन चौधरी फे मधेश प्रदेशसे इ बरस क्षेत्रीय प्रतिभा पुरस्कार पइले बटाँ ।  डोसर समाचार अन्सार ठुम्रार साहित्यिक बखेरीके २०८१ साउनके अन्टिम सनिच्चरके हुइना १००औं साहित्यिक श्रृंखलाहे भव्य बनाइक लग डा कृष्णराज सर्वहारीके संयोजकत्वमे मूल टयारी समिति बना गइल बा । जेम्ने नन्दुराज चौधरीके संयोजनमे आर्थिक, शत्रुघन चौधरीके संयोजनमे प्रचारप्रसार, सिताराम चौधरीके संयोजनमे मञ्च व्यवस्थापनलगायट समिति बना गइल बा । साउनके पहिला सनिच्चरके बैठकमे थप समिति बना जैने बा । 

प्रनव आकाशके ६ गजल 

प्रनव आकाशके ६ गजल 

१४३ दिन अगाडि

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१२ जेठ २०८१

प्रनव आकाश १ जोगि भुइ घस्क खेल्वार ड्यास गलाइट  नक्ली ठर्वन जस्टक जन्निन मुन्ड्री घलाइट अट्वल्या जिउगरक उराइटा डुरिक चिरै  टरसे जस्गरक मुस्वन अट्वा ढलाइट ब्यार खाक चौकस नि मान्ठुइट गिउरन  सङ्ग रहारङ्गिट कर अखोरे बलाइट गाउँम बन्वक राहा बुटैना ख्याल बा  लर्का घरम हाँठ हाँठ सलाइ चलाइट । २ यी बजार म ओसिन का पा जैठा डेख्क डुनिया फे लस्गरक आ जैठा ठरुवा परड्यास जैना, घर बिस्रैना  आसम यहोर जन्निक, साँस जा जैठा रैटीक कुठ्लिम एक डाना डर्या नै हुइस  जिम्दर्वक घरम सड्ड भ्वाज खा जैठा  जौन ठाउँम ढ्याउर डुखी मनै बाट  उह ठाउम भगन्वक भजन गा जैठा । ३ कहुइया कैडेल करम जाट्से खोटी बा  खुसि लिख्ना लिल्हार फे ट छोटी बा गाउँ चिर्वाइन गन्ढाटा, टिह्वारक डिन  घरक भन्सम जरल, फुस्र्या रोटि बा लर्का रङबिरङ्क रिबनम ख्यालट  छाइक भर कुल्मुलाइल, पुरान झोटी बा डिउटा जिन रिसैहो रै, छाँकी डेहटु  किन नि सेक्नु करुवा, फुटल टोटि बा । ४ पैल्ह ट बुझ परल जिन्गिक सार ह का डोस लगैठो बिचारा लिल्हार ह डोकानम आढुनिक गफ लरैना मनै साइट बिगारल कैख रगेट्ठ बिलार ह गँवल्यन लग्मानी हुइल ठेसे ठर्वक घर आक सड्ड(सड्ड  पिट्ठा पर्यार ह ड्वासर जन्हक कमैया लागल ट उ बहुट पाछ पज्गुराडारल आपन बिचार ह । ५ भुवर बिहानसम छोट्की, ढान कुट्टी बा  खवर नि पाइट कब काम, कब छुट्टी बा बखारी भरक्टे मुस लक्लक्याइल बाट  गाउँम ढान डुढी होक बल्ल फुट्टी बा जन्ना मटाँवा बेराम बा, सब्ज ठोप्री बजाइट के सम्झी गाउँक बल्गर हर्झौखी टुट्टी बा बिचारी डिडिबाबुन, डाइह ढुइना कर्रा पर्ठिन अरोट करोट लौरा आम्हि, पठ्रीम मुट्टी बा । ६ पल्पल पल्पल निम्झटा अजर्या राट आम्ही बट्वैना पलि बा जिन्गिक बाट आब पो मै अक्कल्हे बाटु, डुखक ब्याला सुखक ब्याला बहुट रलह पक्रुइया हाँट सुख्ला रुख्वा हुरि, पानीसे बचैटी रहल चिरै अइबो नि कर्ल घुम्टा समझ्क ठाँट जिम्दर्वा घनि घनि अइठा रकट चुस बेन्हुक एकचो चुस्क चुपाजैठ, उरुसक जाट ।