तस्विरः निरन्जन चौधरी
मोहन थारू
राणा शासनके जमानासे पहिलेके बात हो, जौन समयमा बर्दियाके सदरमुकाम कुम्हर अड्डामे रहे, उ समयमा टप्पाके हिसाबसे सरकारी काम काज हुइट रहे । पुरुब रजहट, टब फेना, टब अगला बुढान, टब मँझरा, टब पछला बुढान, टब पटुवा, टब भौँरा, टब मल्हवारा टप्पा कहिके जानत रहे । मै टप्पा काके जोरेक चहनु कहलेसे हमरे साबिक गाउँ पँचायत मगरागाडी ओ धधवार पँचायत सहितके फेना टप्पामा रहि ।
अब कहानि जोरे जाइतुँ, बिहानके समयमा सफेद कौवा, जेकर घरके छपरामा बैठके बोले टो समझलेई कि उ घरके पाला हो मुँ जैना । काहे कि रातके सफेद बघवा आके खाए । यी दैनिक चलति रहे । एकदिनके बाट हो । एकठो बुढाइल मनैया आके कहल, महिन बहुट भुख लागल बा, भात खाइक डेबो ?
उ घरके मनै कहनै कि आज हमार घरमा पाला परल बा, बघवाक सिकार होए पर्ना । उहे मारे हमरे खाना नाइ बनैले हुइ । हमरे सल्लाह करतट कि आज बघवाक सिकार के बने जाइ ?
टब बुढवा बोलल कि टुहरे भात बनाके महिन खाइक डेबो व मै टुहरनके सटहा बघवाक सिकार बनडेम । घरके मनै यी बाट सुनके खुश होके खाना बनैनै । भात खवैलै, अपने खैनै व रातके समयमा बुढवक् बिस्तरा असरहवामा लगा डेहनै । अपने भर घरके भिट्टर सुट्लेक भेष बनाके मोका डगर हेरे लगनै ।
जब आधा रात हुइल टो सफेद बघवा आइल व बुढवा किहिन व खटिया किहिन सुँघके चलगिल । बुढवा किहिन बघवा नाई खाइल ।
उ घरेक मनै बिहान अर्जी करनै कि आज केका हमार घर और रहिजाव । बुढवा बाट मानल, उ रात फिर रहिगिल । रातके बघवा फे आइल, घुमके चलगिल । यी बाट एक कान, दुइ कान मैदान होके फेना टप्पा भर फैलगिल ।
बुढवा किहिन कहे लगनै कि हमरन दैनिक सफेद बघवाक पालापर सिकार बने परठ । एकर कोनो उपाय बताओ ।
टब बुढवा कहठ, मोर बाट मनबो टो यी बघवा किहिन मनाइ सेकम । टब फेना टप्पा के किसान ,कोदरिहवा कमुइया सब मानेक तैयार हो गिनै । व, बुढवा कहल अनुसार फेनापतिके मरुवा बनैनै । अगहन पँचमीके ढाक बोजैनै । टब बुढवा एक जारी बागेश्वरी के सस्थापना करल, जिहिन वारि बुची कहिके जानल जाइठ । व सँग सँगे पाँच पाण्डव छठ नारायणके स्थापना करल व प्रत्येक साल अगहन पँचमीके ढाक बोजाए पर्ना, प्रत्येक साल घरौरा १ पसेरी धान तिहाइ डेहे पर्ना शर्त मँजुर हुइल । उहे अनुसार चलल रहे । उहे दिनसे उज्जर बघवासे फेनापतिके जन्ता मुक्ति पैनै । उ बुढवक सन्तान अभिन बार्बर्दिया ७ रम्मापुरमा बाटै, जो राजी जातिसे चिन्ह जैठ । फेनापतिमा अभिनसम राजी गुरुवाके बान धुप फेनापति चढैठै ।
(नोटः यी बात बारबर्दिया ११ अकलघर्वा निवासि २०४२ सालमा जिउलाल थारु से पुछल रहुँ । उ समयमा वहाँके उमेर ११३ साल हुइनु कहले रहिट ।)
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